*** " माँ- बाप "***
हम दो हमारे दो
छोटा परिवार सुखी परिवार
आधुनिकता की इस लहर में
हम इस कदर बह गये ,
कि माँ - बाप
अब परिवार के अंग नहीं रह गये ।
यदि किसी परिवार में
वे भूल से दिख जाते हैं
तो विश्वास कीजियेगा
वे पप्पू और पिन्की को स्कूल
ले जाने और ले आने के काम आते हैं ।
और कहीं-कहीं
दूध और सब्जी लाने के बहाने
मार्निगं वाक भी कर आते हैं ।
राम, श्रवण और भीष्म
अब केवल किताबों में ही रह गये
माँ - बाप अब
परिवार के अंग नहीं रह गये ।
फिर भी यदि
किसी परिवार में उनकी
बहुत ज्यादा खातिरदारी होती होगी
तो यकीन मानिएगा
या तो उनका
बहुत बड़ा बैंक बैलेंस होगा
या उन्हें
सरकारी पेंशन मिलती होगी ।
Saturday, 1 October 2016
*** " माँ- बाप "***
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment