अगर सवाल खड़े होने लगे तो प्यार झूठा है
मिलके भी नहीं मिल पाए तो इंतजार झूठा है
रोटी से निवाला तोड़ने का मन न करे अगर
बुद्ध बनने को निकल पड़ो ये घर बार झूठा है
कहाँ होती हैं फूलों की सेज, ज़िन्दगी की राहें
काँटों पर साथ नहीं चल सके वो यार झूठा है
चींख जोर से मगर आवाज न होने पाए कोई
आत्मा से रब तक न पहुंचे तो गुहार झूठा है
तुम्हें रब ने गढ़ा तो तुम फिर ऐसे क्यों ‘मधु’
या तो तुम झूठे या फिर वो कुम्हार झूठा है
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