Saturday, 29 August 2015

आओ मिल कर आग लगाये, नित नित नूतन स्वांग करें...

आओ मिल कर आग लगाये, नित नित नूतन स्वांग करें,
पौरूष की नीलामी कर दे, आरक्षण की मांग करें,
पहले से हम बटे हुए हैं, और अधिक बट जाये हम,
100 करोड़ हिन्दू हैं, मिलकर एक दूजे को खायें हम,
देश मरे भूखा चाहे पर, अपना पेट भरावो जी,
शर्माओ मत, भारत माँ के बाल नोचनें आओ जी,
तेरा हिस्सा मेरा हिस्सा, किस्सा बहुत पुराना है,
हिस्से की रस्साकसियों में, भूल नही ये जाना जी,
याद करो जमीन के हिस्सों पर, जब हम टकराते थे,
गजनी कासिम बाबर, मौका पाते ही घुस आते थे,
अब हम लड़ने आये हैं, आरक्षण वाली रोटी पर,
जैसे कुत्ते झगड़ रहे हों, कटी मांस की बोटी पर,
हमने कलम किताब लगन को, दूर बहुत ही फेंका है,
नाकारों को खीर खिलाना, संविधान का ठेका है,
मैं भी पिछड़ा मैं भी पिछड़ा , कह कर बनो भिखारी जी,
ठाकुर पंडित बनिया सब के सब कर लो तैयारी जी,
जब पटेल के कुनबों की, थाली खाली हो सकती है,
कई राजपूतों के घर भी, कंगाली हो सकती है,
बनिये का बेटा रिक्शे की मजदूरी कर सकता है,
और किसी वामन का, बेटा भी भूखां मर सकता है,
आओ इन्ही बहानों को लेकर, सड़को पर टूट पड़ो,
अपनी अपनी बिरादरी का झंडा लेकर छूट पड़ो,
शर्म करो हिन्दू बनते हो, नस्ले तुम पर थूकेगीं,
बटे हुए हो जाति पंथ में, ये ज्वालायें फूकेंगी,
मैं पटेल हूँ मैं गुर्जर हूँ, लड़ते रहिये शानो से,
फिर से तुम जूते खाओगे गजनी के संतानों से,
ऐसे ही हिन्दू समाज के, कतरे कतरे कर डालो,
संविधान को छलनी कर के, गोबर इस में भर डालो,
राम राम करते इक दिन तुम अस्लाम हो जाओगे,
बटने पर ही अड़े रहे तो फिर गुलाम हो जाओगे.......

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