Monday, 29 December 2014

वाह रे इंसान तेरी फिदरत......

वाह रे इंसान तेरी फिदरत .।। 
लाश को हाथ लगाता है तो नहाता है ...
पर बेजुबान जीव को मार के खाता है ।।
छोड़ देते है भोजन जिसमें एक बाल है 
फिर क्यों खाते हो अंडा जिसमें एक माँ का लाल है.

एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर
जाता है और भगवान बन जाता है .
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर
भी पथ्थर ही रहते है ..!

एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये
अपनी सुन्दरता त्याग देती है..
और वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए
अपनी माँ को त्याग देता है

जीवन में हर जगह हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि "हार" चाहिए।
क्योंकि हम भगवान से "जीत"
नहीं सकते।

हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।
जो रोज़ भूल जाते हैं...
वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को

वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के
साथ.....
पर अपनों का पता चलता है, वक़्त के
साथ...
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,
पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के
साथ...!!!

ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है...
शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...क्योंकि ये
ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।

Sunday, 14 December 2014

सफाई अभियान......

बेकार की बात है श्रीमान
मोदी जी को क्या पता
किसे कहते हैं सफ़ाई अभियान

सफ़ाई अभियान के प्रति,
सबसे ज़्यादा गंभीर हैं
हमारे देश के पति।
जिन्हें घर में घुसने से पहले
साफ़ करनी पड़ती है
मोबाइल की कॉल डिटेल,
कम्प्यूटर छोड़ने से पहले
साफ़-सुथरी बनानी पड़ती है
अपनी ई-मेल।
अरे साहब
झाड़ू उठाकर सफ़ाई करने को
हम बड़ा काम कैसे मानें,
पत्नी के प्रश्नव्यूह से
साफ़ निकल कर दिखाओ
तो जानें।

जानते हैं
मोदी जी के स्वच्छता अभियान की गाड़ी
पिक-अप क्यों नहीं ले रही
क्योंकि जिस देश में कभी
दूध की नदियाँ बहती थीं
वहाँ दूध की थैलियाँ
नदियों को बहने नहीं दे रही।

शहरों से गाँवों तक
मस्तक से पाँवों तक
मेलों से ठेलों तक
रेलों से जेलों तक
खेलों से झूलों तक
कॉलेज से स्कूलों तक
फ़िल्मों से चैनल तक
एंकर से पैनल तक
नारों-विचारों तक
ख़त से अख़बारों तक
सब्ज़ी से राशन तक
रैली से भाषण तक
पर्ची से चंदे तक
सेवा से धंधे तक
कूड़ा ही कूड़ा है
जर्जर इक मूढ़ा है
जिस पर हम बैठे हैं
बिन कारण ऐंठे हैं
दर्द की दवाई हो
बात ना हवाई हो
अल्लाह दुहाई हो
अब कुछ सफ़ाई हो।।