तेरी हर तस्वीर मे तेरे होठों की मुस्कान गायब है,
थका हूँ फिर भी तुझे देख मेरी थकान गायब है,
दिल की ज़मीन पर बनाया था मकान सपनो का,
बस हमारा वो हसरातों से भरा मकान गायब है,
यह किस शहर मे आ कर तू बस गया है आज,
यहाँ लोग तो हैं इंसानियत से भरा इंसान गायब है